गीता उपदेश: हार को जीत में बदलना है तो याद रखें गीता के ये 10 जीवन उपदेश

हम सभी जानते है की महाभारत का युद्ध हुआ था तब अर्जुन पूरी तरह हतबल हो गया था। उसे समज नहीं आ रहा था की अपनों के सामने कैसे युद्ध करे। उस समय भगवान श्री कृष्ण ने जो गीता उपदेश दिया था वो आज भी हमारे जीवन मे लागू होता है, हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसेही मोड आते है जहा हमे कुछ समज नहीं आता की क्या करना है।

ऐसे समय मे गीता एक ग्रंथ नहीं रहता बल्कि हमारे जीवन का मार्गदर्शक बन जाता है। अगर हम गीता के विचारों को अपने जीवन मे उतार ले तो हमारी हार भी जीत मे बदल जाती है। इसीलिए आज हम गीता के 10 उपदेशों के बारे मे जानेंगे।

1. सत्य के मार्ग पर चलने वाला कभी नहीं हारता

गीता मे साफ लिखा है की सत्य का रास्ता हमेशा कठिनाइयों से भरा होता। इस रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति कई बार हारता हुआ दिखाई देता है लेकिन अंत मे वही इंसान विजयी होता है। छल कपट और असत्य के मार्ग अपनाने पर मिली हुई जीत कुछ समय के लिए ही होती है मगर सत्य के मार्ग पर चलके मिली हुई जीत स्थायी होती है।

गीता में लिखा है कि परिस्थितियां चाहे कितनी ही विपरीत हो अगर हम सत्य के मार्ग पर अडिग रहे तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें हरा नहीं सकती।

2. किसी भी चीज़ में अति से बचें

भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि जीवन में संतुलन आवश्यक है। चाहे वो काम हो, महत्व हो, भोजन हो या भावनाए हर चीज़ अति होने पर विनाश का कारण बनती है। गीता मे लिखा है की संयम ही सुख का आधार है। अगर हम किसी भी काम मे पूरा डूब जाएंगे तो हमारा स्वास्थ बिगड़ जाएगा और लालच करेंगे तो मन भी अशांत रहेगा। इसीलिए हमे हर एक चीज को संतुलित होकर अपनाना चाहिए।

3. आत्मा अमर है

गीता मे लिखा है कि आत्मा कभी नहीं मरती केवल शरीर मरता है आत्मा तो हमेशा के लिए अमर हो जाती है, जब हमे ये सत्य समज मे आता है तो हमारा मृत्यु का भय मिट जाता है। इंसान निर्भय हो जाता है और अपने जीवन को पूरी तरह मुक्त होकर जीने सिख जाता है।

4. ज्ञान और कर्म का संतुलन

श्री कृष्ण ने गीता मे बताया है की ज्ञान और कर्म का संतुलन हो तब ही जीवन सफल बन पाता है। कुछ लोगों का मानना होता है कि केवल ज्ञान प्राप्त करना ही सब कुछ है लेकिन गीता में बताया है कि ज्ञान के साथ कर्म का होना बहुत जरूरी है।

5. कर्म का फल अवश्य मिलता है

गीता में साफ लिखा है कि कोई भी व्यक्ति अपने कर्मों से बच नहीं सकता अगर उसका कर्म अच्छा है तो उसको अच्छा फल मिलेगा अगर उसका कर्म बुरा है तो उसको वैसा ही फल मिलेगा है। गीता हमें सिखाती है कि फल की चिंता छोड़ अपने कर्म करते रहना चाहिए उनका फल उनको अवश्य मिलेगा जब हम निस्वार्थ भाव से कर्म करते हैं तभी हमारा जीवन सुखी बनता है।

6. मोह सबसे बड़ा दुख है

गीता में भगवान श्री कृष्ण बताते हैं कि अत्याधिक मोह और आसक्ति दुख का कारण बनती है इसलिए जब हम कोई रिश्ता या स्थिति को पकड़कर रखना चाहते हैं तब पीड़ा शुरू होती है। गीता हमें सिखाती है कि संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है अगर हम मोह छोड़ दे और हर स्थिति को स्वीकार ले तो जीवन में दुख कम और शांति ज्यादा रहेगी।

7. तुलना से बचे, अपना धर्म निभाए

गीता में लिखा है कि दूसरों से तुलना करना हमें कभी भी सुख नहीं देता। इसलिए हमे कभी किसी से तुलना नहीं करनी चाहिए। हर इंसान का अपना धर्म, मार्ग होता है। अगर हम हमारी तुलना किसी और से करेंगे तो हम हमेशा दुखी रहेंगे। गीता कहती है कि हमे अपना धर्म का पालन करना चाहिए चाहे वो किसी और से छोटा हो या बड़ा।

8. सफलता की कुंजी है आत्मविश्वास

गीता में लिखा है कि हमारा आत्मविश्वास ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। अगर हम खुद पर भरोसा कर ले तो हर परिस्थिति का सामना आसानी से कर सकते है। आत्मविश्वास वो ताकत है जो हार को भी जीत में बदल सकती है। यही कारण है कि कोई भी महान कार्य आत्मविश्वास से ही शुरू होता है।

9. संदेह दुख का कारण है

जिस व्यक्ति के मन में हर समय किसी भी बात को लेकर संदेह रहता है वो व्यक्ति जीवन में कभी भी सुखी नहीं रह पाता। संदेह करने से मन हमेशा अशांत रहता है और कभी भी सुखी नहीं होता। गीता में लिखा है कि जिन्हें खुद पर विश्वास होता है वहीं व्यक्ति जीवन में आनंदित रहता है। इसलिए श्री कृष्णा कहते की संदेह को त्यागकर हम सही निर्णय ले सकते है।

10. अहंकार से मुक्ति

अहंकार अक्सर उसकी पहचान को वास्तविकता से दूर कर देता है। जब हम अहंकार में डूब जाते हैं तब हम अपनी कमजोरियों को भूल जाते है। और जैसे हम अहंकार को त्यागते है तो हम अपने आप को पहचान पाते है। गीता हमें सिखाती है कि अहंकार को छोड़कर ही हमे शांति मिलती है।

Last words

भगवद गीता केवल एक ग्रंथ भी बल्कि हमारे जीवन का मार्गदर्शक है। जब भी हम कठिन समय से गुजरते है तो गीता हमें सही रास्ता दिखाती है। गीता हमें बताती है कि जीवन का संघर्ष हमे तोड़ने नहीं बल्कि जोड़ने के लिए होता है। अगर आपके जीवन में कभी कठिन समय आए, उतार चढ़ाव आए तो गीता के इन विचारों को जरुर ध्यान में रखने चाहिए।

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